अभी कुछ समय पहले गोवा - दर्शन का मुझे अवसर मिला। पहली नजर में यह एक स्थान-विशेष से ज्यादा मुझे कुछ नहीं लगा - वही गाड़ियों की आवाज, वही सड़क पर तैरते लोग, एक विस्तृत समुद्री किनारा जिसके रेत के हर कण में जैसे बच्चन साहब की पूरी मधुशाला समायी पड़ी हो। मेरी सोच प्रारंभ में थोड़ी छिछली सी रही, दरअसल कैलान्गुत और बागा बिच देखने के बाद गोवा को मै प्राकृतिक तौर पर देख ही नहीं पा रहा था। समंदर और पहाड़ के साथ अस्ताचल सूर्य को देखना अद्भुत हो सकता था पर दृष्टि ही ठंढी होकर जमने लगी थी और दृश्य की गर्माहट उसे पिघला नहीं पा रही थी। यहाँ आने के बाद जिंदगी थोड़ी ठहरी और संकुचित सी दिखने लगी थी मुझे , हर सोच जड़ लगने लगी थी। मौज-मस्ती की मन:स्थिति होना कैलान्गुत और बागा बिच के लिए अनिवार्य से भी थोड़ा ज्यादा है, प्रकृति-प्रेमी बनकर जाना इन जगहों के गौरव की मान-हानि है । खैर, बिच के डिनर को जाया करने के पश्चात मै फिर से हर दिन की तरह उसी चीनी ढाबे पर था, थोड़ी सी शान्ति और थोड़े से भोजन की तलाश में।
आज बाइक से फोर्ट अगुअडा सबसे पहले पहुँचना था। सूखे-लंबे घास समुद्री हवाओं के थपेड़े खाकर पके गेहूँ की बालियों की भाँति हिल-हिल कर अपने अंतिम अस्तित्व को जिंदा रखने में जुटे थे, लाल मिट्टी की खुशबू रह-रह कर नेतरहाट की याद दिला रही थी जैसे बचपन हर पग पर दस्तक दे रहा हो। सबकुछ अपने चरम पर था -आसमान बिलकुल साफ़, धूप बिलकुल तीखी और हवा बिल्कुल शीतल। प्रकृति अपने संतुलन की पराकाष्ठा पर थी। शैलानी इस सम्पूर्ण दृश्य को दिल के साथ-साथ अपने कैमरे में सहेजने में तल्लीन थे, मेरी पत्नी यदा-कदा आ-आकर मुझे समझा रही थीं- ठीक से हँसते हुए फोटो पोज दो, यहाँ दार्शनिक नहीं बनने आये हैं, घुमने आये हैं। गोवा की ख़ास बात सबसे पहले मुझे लगीं- यहाँ की सड़कें, थोड़ी पतली सी पर बिलकुल साफ़ . जंगली घास अलकतरे के ऊपर तक चढी रहती हैं। कभी एक ओर पहाड़ी होती है तो कभी समंदर, पर हरे- भरे पेड़ हमेशा साथ होते हैं। इन सड़कों पर ड्राइविंग अनंत दूरी तक आप कर सकते हो, बिना थकान के। अगुअडा के बाद हम कैंदोलिन बिच गए , थोड़ी शान्ति थी पर वैसा किनारा मुझे अब तक दिखाई नहीं पड़ा था जो मेरे जहन में था- शांत, जहाँ प्रकृति ज्यादा मौजूद हो, भौतिकता की तुलना में, जहाँ शुकून ज्यादा हो और मानवीय कोलाहल कम।
आज रिजोर्ट के मालिक फिलिप ने मुझे नॉर्थ गोवा की अंतिम सीमा तक जाने का सुझाव दिया। मेरी पत्नी उसके प्रस्ताव पर थोड़ी सहम सी गयीं क्योंकि बाईक पर इतनी देर तक पीछे बैग टाँगकर बैठना उनके लिए टेढ़ी खीर थी, पर रास्ते यहाँ के निहायत ही मंजिल से ज्यादा सुन्दर थे और यह सुन्दरता उनको बैग टाँगने के लिए मजबूर कर रही थी। सबसे पहले हम चपोरा फोर्ट पहुँचे। यह किला भौगोलिक, प्राकृतिक और सैन्य- हर दृष्टिकोण से काबिल- ए-तारिफ़ थी। नीले समुद्री किनारे हमारे बिल्कुल नीचे थे और नीला आकाश बिल्कुल ऊपर- दोनों ही नीरव और निश्छल। समुद्री लहरें तटों से एकाकार होने से पूर्व साबुन के झाग से प्रतीत हो रहे थे, दूर खड़ा समुद्री जहाज एक गीत याद दिला रहा था - अँखियों को रहने दो, अँखियों के ... | गोवा अब अपने शाश्वत स्वरुप में मुझे नजर आने लगा था -- हरे पेड़ एक तरफ पंक्तिबद्ध थे, तो उजली समुद्री लहरें दूसरी तरफ। फिर हम वेगेटर, मोर्जिम, अरम्बुल और न जाने कितने बिच गए पर मोर्जिम बिच का सफ़र मुझे सबसे प्रिय लगा । छोटा-सा गाँव, छोटी-छोटी दुकाने जहां पेट्रोल और चाय के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलता, फिर भी इसके एम्बिएंस के सामने फाइव-स्टार का रेस्टोरेंट फीका था, जैसे-जैसे गाँव छुटता जाता था, वे छोटे घर, छोटी दुकाने सब ख़त्म होती जाती थीं और अन्तत: हम सुमुद्र के उस विशाल फैलाव के समक्ष थे जहां कोलाहल तो था पर समंदर के गर्जन का रूप लिए, पों-पों, चीं-चीं की आवाज तो थी पर चिड़ियों की चहचहाहट का रूप लिए। रेत के कण गेहूं के आटे से भी अधिक कोमल थे इसलिए इनके चुभन का एहसास भी मानवीय संवेदनाओं से परे था।
अब इस जगह पर मै शायद अपने होने का एहसास पा रहा था ... गोवा अपने वास्तविक रूप में मेरे सामने था...
Places to stay: so many resorts/hotels near baga/kalanguit beach. Better to stay here than punjim.
Bike/scooter hiring: Don't book from your respective hotels. just walk on the road and check with few vendors, then only hire.
Places to visit: Get Goa map and a bike/scooter. Dont visit Baga/Kalanguit etc only. Go to remote areas. Its awesome.
srimaan kuch aur bhi likhen goa ke baare main
ReplyDeletejiske liye goa jana jata hai
kuch aur toh yahi hai bhaai ki bas mitron ke saath jaaiye aur chaaron taraf masti hi masti hai..
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ReplyDeleteसमुद्री किनारा मुझे अनंत (infinity) का स्मरण कराता है !
ReplyDeleteगोवा जाने की बड़ी इक्छा है, अब पता लग गया गोवा उतरते ही कहा जाना है !
और अगर आप सपत्निक हों, जो सुन्दर जगह अति-सुन्दर लगती है ! :)
Hi Amit,
ReplyDeleteTrue, Goa kaafi jagah hai, lekin afsos, main abhi tak wahan visit nahi kar paaya. Jaane kab Goa k darshan ho payenge pata nahi. Koi nahi, posts mein padh padh ke anand uthana padega :) :) :)
Regards
Jay
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visited goa many times It has an awesome feel that can really lift ur spirits!
ReplyDeleteHello Jay,
ReplyDeletejaldi hi darshan honge.. its really beautiful place.
Hi Jerly,
Yea, mostly when you visit remote beaches :)
--Amit