Wednesday, August 6, 2025

बभनन-दुसधन

"आपको देखकर पता चलता है कि वफ़ादारी का भी एक चेहरा होता है कटप्पा... ज़ोर से बोलो सियावर रामचंद्र की जय" - इतना कहकर मदन पासवान उर्फ़ कटप्पा नीम की डाली से नीचे कूद गया | ऊपर पेड़ से उसकी सेना चिल्लाई - कटप्पा ! भाग काहे रहा है? एक-दो और डायलॉग तो सुना दे भाई  पर वो भागे जा रहा था नीचे गिरते हुए फटे निकर को किसी तरह कमर तक हाथों से दबाये हुए| 

सेना की नज़र अब पेड़ की जड़ के चारों ओर बनी छाया पर गई | हाथ में डंडा लिए उनके माँ-बाप नीचे इंतज़ार कर रहे थे | अब उनको समझ आया कि सेनापति युद्ध के मध्य में क्यूँ उनको वेवश छोड़के भाग गया | डंडा लिए कटप्पा की माँ उसके पीछे दौड़ रही थीं पर वो कहाँ हाथ आनेवाला था |  सेना पर बच नहीं पायी, जंग के सिपाही की तरह नहीं बल्कि मध्य युग के गुलाम की तरह उन्हें धोया गया | 

बात बस इतनी थी कि आज कक्षा का परिणाम आया था |  कटप्पा और उसकी सेना फेल करके नीम की डाली पर जश्न मनाने आये थे | कुछ पके नीम खाकर अगला प्लान पोखर में तैराकी करना था फिर पीपल के पेड़ के नीचे गिल्ली-डंडा |   

उधर कटप्पा का प्रिय मित्र बाहुबली परीक्षा में प्रथम आकर घर में चावल, दाल और चोखा खा रहा था |  कटप्पा भागता-भागता उसके घर पहुँचा और युद्ध के तुरंत आनेवाले विनाशक परिणाम से अवगत कराया | बाहुबली ने उसे घर के एक कोने में छुपाया ही था कि रणभेरी बजी - जिन्दा नहीं छोड़ेंगे रे आज तुमको कटप्पा... करमजला पढ़ेगा नहीं त बाप की तरह ही हरवाही करेगा | 

बाहुबली अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला- "का  हुआ चाची?" 
"फिर फेल किया आउ का होगा" - क्रोधित जवाब आया | 
"हमको पता है उ एहीं छुपल है"
"न चाची... इस्कूल के बाद हम उसको देखे ही नहीं हैं"
"अच्छा! कहाँ जाएगा - रात को तो घर ही आना है , छुपा लो अभी"

कटप्पा उर्फ़ मदन पासवान के पिता,  बाहुबली उर्फ़ प्रताप चौधरी के पिता का खेत जोतते थे | दोनों परिवार को बाहुबली इतना पसंद आया था कि अपने बेटों का पुकारु नाम इसी फिल्म के चरित्र पर रख दिए थे | 

जब बाहुबली की माँ ने कटप्पा की अम्मा को समझा बुझाकर घर भेजा तो धीरे से कटप्पा बाहुबली के टूटे हुए भवन के जीर्ण होते  आँगन में प्रकट हुआ |

"बच गए चाची... " - कटप्पा ने थोड़ी राहत की साँस ली| 
"पढ़ता क्यूँ नहीं है? " - बाहुबली की माँ ने डाँटा | 

"फेसबुक, इंस्टा, व्हाट्सएप्प चलाने से फुर्सत मिलेगा त न पढ़ेगा " - बाहुबली भीतर से क्रोधित थे उसके परीक्षाफल पे | 
"का!! फ़ोन कहाँ से आया इसके पास? " - ये तो विद्यालय की परीक्षा से भी कठिन प्रश्न था कटप्पा के लिए | 

"बभनन (भूमिहार जाति) के लईकबन फ़ोन रखता है चाची... हम तो साथे बइठल रहते हैं बस " - कटप्पा के पास कक्षा के प्रश्न के अतिरिक्त हर सवाल का जवाब था | 

"फिर तू कइसे बनाया मदनपासवान१२३_कटप्पा का इंस्टा पर प्रोफाइल"- बाहुबली सिर्फ अध्ययन में ही अग्रणी नहीं थे | 

कटप्पा ने कनखी मारके बाहुबली को चुप कराया वरना जीवन का पहला संग्राम वो हार जाता | बात बदलते हुए बोला-

"पूरा गाँव के बभनन के लइकन बर्बाद कैले है चाची"
"कइसे ?" - बाहुबली की माँ  कटप्पा को खाने की थाली बढ़ाते हुए बोलीं | 
"दिन में सब पीपल के नीचे मोबाइल चलाता है आउ रात में मंदिर के बाहर गाँजा फूँकता है"
"तुम तो नहीं न कटप्पा ? " 
"न चाची... एकदम न... इ तो कल भइया घरे बताया था त पापा बड़ी पीटे थे उसको... कि बभनन दुसधन करित रह जाएगा ज़िंदगी भर..."

रात जिस दर से बढ़ने लगी, कटप्पा की वीरता उसी दर से घटने लगी | उसे अब घर जाना था - आँखों से आँसू आने लगे, डण्डे की धुलाई सोचकर | 

बाहुबली की माँ ने कहा - चल हम छोड़ देते हैं, कोई नहीं मारेगा | 
"सच चाची ! " - कटप्पा इतना ही बोल पाया | 

घर पहुँचकर सहमे क़दमों से पिता के पास भागा | माँ का क्रोध वो भाँप गया था इसलिए चाची को इशारे से उसके पास बैठने को बोल दिया | एक कमरे के घर में उसे सबसे सुरक्षित स्थान पिता के पास ही लगा | भाई को वो भल्लालदेव ही समझता था | 

अंदर जाकर भी मार खाने का भय वीर कटप्पा के अंदर बना हुआ था | भयभीत सेनापति बार- बार बाहर झाँक रहा था कि चाची चली तो नहीं गयीं कि तभी  चनेसर ने पूछा - खाना खाया ?
"हाँ चाची ने खिला दिया था"
"चल सोते हैं फिर"  - पिता का यह वाक्य उसे आज न मार खाने का सबसे बड़ा आश्वासन लगा | सोचा - कल का अब कल देखेंगे |  

जब दोनों सोने लगे तो बभनन-दुसधन वाली चाची से हुई बातचीत कटप्पा मजे में पिता को सुनाने लगा | चनेसर मारने की वजाय हँसने लगा और पूछा -  "पता है चाची का हैं ?"
"का ? " - कटप्पा ने पूछा | 
"बाभन!"
 "का !!!" - कटप्पा अंदर तक हिल गया | कल ही इस्कूल से पहले चाची के घर जाएगा और बोल देगा कि भइया इ सब उसको सिखाता है | 

"चाची अच्छी है, बुरा नहीं मानेगी" - ऊपर फ़ूस की छत को देखते हुए वो सोच रहा था पर बाल-चिंता की सिकन माथे पर यथावत बनी हुई थी | 



 
 



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