सेना की नज़र अब पेड़ की जड़ के चारों ओर बनी छाया पर गई | हाथ में डंडा लिए उनके माँ-बाप नीचे इंतज़ार कर रहे थे | अब उनको समझ आया कि सेनापति युद्ध के मध्य में क्यूँ उनको वेवश छोड़के भाग गया | डंडा लिए कटप्पा की माँ उसके पीछे दौड़ रही थीं पर वो कहाँ हाथ आनेवाला था | सेना पर बच नहीं पायी, जंग के सिपाही की तरह नहीं बल्कि मध्य युग के गुलाम की तरह उन्हें धोया गया |
बात बस इतनी थी कि आज कक्षा का परिणाम आया था | कटप्पा और उसकी सेना फेल करके नीम की डाली पर जश्न मनाने आये थे | कुछ पके नीम खाकर अगला प्लान पोखर में तैराकी करना था फिर पीपल के पेड़ के नीचे गिल्ली-डंडा |
उधर कटप्पा का प्रिय मित्र बाहुबली परीक्षा में प्रथम आकर घर में चावल, दाल और चोखा खा रहा था | कटप्पा भागता-भागता उसके घर पहुँचा और युद्ध के तुरंत आनेवाले विनाशक परिणाम से अवगत कराया | बाहुबली ने उसे घर के एक कोने में छुपाया ही था कि रणभेरी बजी - जिन्दा नहीं छोड़ेंगे रे आज तुमको कटप्पा... करमजला पढ़ेगा नहीं त बाप की तरह ही हरवाही करेगा |
बाहुबली अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला- "का हुआ चाची?"
"फिर फेल किया आउ का होगा" - क्रोधित जवाब आया |
"हमको पता है उ एहीं छुपल है"
"न चाची... इस्कूल के बाद हम उसको देखे ही नहीं हैं"
"अच्छा! कहाँ जाएगा - रात को तो घर ही आना है , छुपा लो अभी"
कटप्पा उर्फ़ मदन पासवान के पिता, बाहुबली उर्फ़ प्रताप चौधरी के पिता का खेत जोतते थे | दोनों परिवार को बाहुबली इतना पसंद आया था कि अपने बेटों का पुकारु नाम इसी फिल्म के चरित्र पर रख दिए थे |
जब बाहुबली की माँ ने कटप्पा की अम्मा को समझा बुझाकर घर भेजा तो धीरे से कटप्पा बाहुबली के टूटे हुए भवन के जीर्ण होते आँगन में प्रकट हुआ |
"बच गए चाची... " - कटप्पा ने थोड़ी राहत की साँस ली|
"पढ़ता क्यूँ नहीं है? " - बाहुबली की माँ ने डाँटा |
"फेसबुक, इंस्टा, व्हाट्सएप्प चलाने से फुर्सत मिलेगा त न पढ़ेगा " - बाहुबली भीतर से क्रोधित थे उसके परीक्षाफल पे |
"का!! फ़ोन कहाँ से आया इसके पास? " - ये तो विद्यालय की परीक्षा से भी कठिन प्रश्न था कटप्पा के लिए |
"बभनन (भूमिहार जाति) के लईकबन फ़ोन रखता है चाची... हम तो साथे बइठल रहते हैं बस " - कटप्पा के पास कक्षा के प्रश्न के अतिरिक्त हर सवाल का जवाब था |
"फिर तू कइसे बनाया मदनपासवान१२३_कटप्पा का इंस्टा पर प्रोफाइल"- बाहुबली सिर्फ अध्ययन में ही अग्रणी नहीं थे |
कटप्पा ने कनखी मारके बाहुबली को चुप कराया वरना जीवन का पहला संग्राम वो हार जाता | बात बदलते हुए बोला-
"पूरा गाँव के बभनन के लइकन बर्बाद कैले है चाची"
"कइसे ?" - बाहुबली की माँ कटप्पा को खाने की थाली बढ़ाते हुए बोलीं |
"दिन में सब पीपल के नीचे मोबाइल चलाता है आउ रात में मंदिर के बाहर गाँजा फूँकता है"
"तुम तो नहीं न कटप्पा ? "
"न चाची... एकदम न... इ तो कल भइया घरे बताया था त पापा बड़ी पीटे थे उसको... कि बभनन दुसधन करित रह जाएगा ज़िंदगी भर..."
रात जिस दर से बढ़ने लगी, कटप्पा की वीरता उसी दर से घटने लगी | उसे अब घर जाना था - आँखों से आँसू आने लगे, डण्डे की धुलाई सोचकर |
बाहुबली की माँ ने कहा - चल हम छोड़ देते हैं, कोई नहीं मारेगा |
"सच चाची ! " - कटप्पा इतना ही बोल पाया |
घर पहुँचकर सहमे क़दमों से पिता के पास भागा | माँ का क्रोध वो भाँप गया था इसलिए चाची को इशारे से उसके पास बैठने को बोल दिया | एक कमरे के घर में उसे सबसे सुरक्षित स्थान पिता के पास ही लगा | भाई को वो भल्लालदेव ही समझता था |
अंदर जाकर भी मार खाने का भय वीर कटप्पा के अंदर बना हुआ था | भयभीत सेनापति बार- बार बाहर झाँक रहा था कि चाची चली तो नहीं गयीं कि तभी चनेसर ने पूछा - खाना खाया ?
"हाँ चाची ने खिला दिया था"
"चल सोते हैं फिर" - पिता का यह वाक्य उसे आज न मार खाने का सबसे बड़ा आश्वासन लगा | सोचा - कल का अब कल देखेंगे |
जब दोनों सोने लगे तो बभनन-दुसधन वाली चाची से हुई बातचीत कटप्पा मजे में पिता को सुनाने लगा | चनेसर मारने की वजाय हँसने लगा और पूछा - "पता है चाची का हैं ?"
"का ? " - कटप्पा ने पूछा |
"बाभन!"
"का !!!" - कटप्पा अंदर तक हिल गया | कल ही इस्कूल से पहले चाची के घर जाएगा और बोल देगा कि भइया इ सब उसको सिखाता है |
"चाची अच्छी है, बुरा नहीं मानेगी" - ऊपर फ़ूस की छत को देखते हुए वो सोच रहा था पर बाल-चिंता की सिकन माथे पर यथावत बनी हुई थी |
No comments:
Post a Comment